हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 79 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 79 श्लोक 6-10

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क्षुरकर्म ततो भर्तुरात्मतनश्चैव कारयेत्।
उत्सादनं च स्नानं च तस्मिन्नहनि संस्मतम्।।6।।

ततो विवाहवत् स्नाननं विहितं पुण्यके शुभे।
मण्डनं चैव विहितं माल्यनधारणमेव च।।7।।

कुम्भैस्तु स्नाप्यमानेमं साध्वी मन्त्र मुदीरयेत्।
भर्तु: पादौ नमस्कृसत्य मनसा वाथ वा गिरा।।8।।

आपो देव्य ऋषीणां हि विश्वधात्र्यो दिव्य मदन्त्यो या: शंकरा धर्मधात्र्य:।
हिरण्यवर्णा: पावका: शिवतमेन रसेन श्रेयसो मां जुषन्तु।।9।।

अपामेष स्मृतो मन्त्र: सर्वत्रान्यत्र मे श्रृणु।
मन्त्रा: पुराणविहिता: स्त्रीणां सर्वांगशोभने।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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