हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 73 श्लोक 96-100

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 73 श्लोक 96-100

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ततो वज्रायुधो वज्रमशनिं च पुन: पुन:।
मुमोच गरुडे राजन्नैशरावतरिपौ नृप।।96।।

वज्राशनिनिपातांस्ता्न सेहे शक्रस्य पक्षिराट्।
अवध्यो बलिनां श्रेष्ठो निसर्गेण तपोबलात्।।97।।

मुमोच पक्षमेकैकं मानयन्नशनिं सदा।
वज्रं च देवराज्ञोऽथ भ्रातु: कश्यपसम्भव:।।98।।

आक्रम्यदमाणस्तार्क्ष्येण न्यमज्जेन्नपते गिरि:।
विवेश धरणीं राञ्चछीर्यमाण: समन्तगत:।।99।।

चुकूज बहुमानेन कृष्णयस्य स तु पर्वत:।
तं चाद्राक्षीत् तत: कृष्ण्: किंचिच्छेषमधोक्षज:।।100।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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