हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 43 श्लोक 91-94

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 43 श्लोक 91-94

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चेदिनाथ सनाथौ स्व्: संवृत्तौत तव दर्शनात्।
नावयो: किंचिदप्राप्यंलययोस्वंस्य बन्धु‍रीदृश:।।91।।

जरासंधस्य निधनं ये चान्ये तत्सयमा नृपा:।
पर्याप्तौ त्वंत्सेनाथौ स्वे: कर्तुं चेदिकुलाद्वह।।92।।

यदूनां प्रथमो बन्धुतस्वंस हि सर्वमहीक्षिताम्।
अत: प्रभृति संग्रामान् द्रक्ष्य्से चेदिसत्तेम।।93।।

चाक्रं मौसलमित्ये्वं संग्रामं रणवृत्त य:।
कथयिष्यमन्ति लोकेअस्मिन् ये धरिष्यवन्ति पार्थिवा:।।94।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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