हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 15 श्लोक 16-19

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 15 श्लोक 16-19

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क्‍वचिद् दुर्दिनसंकाशै: क्‍वचिच्छिन्‍नाभ्रसंनिभै:।
क्‍वचिद् भिन्‍नांजनाकारै: क्‍वचिच्‍छीकरवर्षिभि:।।16।।

मण्‍डयन्‍तीव देवेन्‍द्रो विश्‍वमेवं नभो घनै:।
क्‍वचिच्‍छीकरमुक्‍ताभं कुरुते गगनं घन:।।17।।

एवमेतत् पयो दुग्‍धं गोभि: सूर्यस्‍य वारिदै:।
पर्जन्‍य: सर्वभूतानां भवाय भुवि वर्षति।।18।।

यस्‍मात् प्रावृडियं कृष्‍ण शक्रसय भुवि भाविनी।
तस्‍मात् प्रावृषि राजान: सर्वे शक्रं मुदा युता:।
महै: सुरेशमर्चन्ति वयमन्‍ये च मानवा:।।19।।

इति श्रीमहाभारते खिलभागे हरिवंशे विष्‍णुपर्वणि शिशुचर्यायां गोपवाक्‍ये पंचदशोअध्‍याय:।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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