हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 128 श्लोक 11-15

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 128 श्लोक 11-15

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इयं चैव कुलश्लाघ्या नाम्नोषा सुन्दरी वरा।
बाणपुत्री तव वधू: प्रतिगृह्णीष्व भामिनीम्।।11।।

तत: प्रतिगृहीता सा स्त्रीभिराचारमंगलै:।
प्रवेशिता च सा वेश्म अनिरुद्धस्य् शोभना।।12।।

देवकी रोहिणी चैव रुक्मिण्यथ विदर्भजा।
दृष्ट्वानिरुद्धं रोदन्त्य: स्नेहहर्षसमन्विता:।।13।।

रेवती रुक्मिणी चैव गृहमुख्यं प्रवेशयत्।
वधूर्वर्धसि दिष्ट्या त्वयमनिरुद्धस्य दर्शनात्।।14।।

ततस्तूर्यप्रणादैस्ता वरनार्य: शुभानना:।
क्रियामारेभिरे कर्तुमुषा च गृहसंस्थिता।।15।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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