हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 91-95

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 91-95

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तं स्यन्दसनमधिष्ठाय भवस्याममिततेजस:।।91।।
प्रादुश्चक्रे महारौद्रमस्त्रं सर्वास्त्रमघातनम्।

दीप्तं ब्रह्मशिरो नाम बाण: क्रुद्धोऽतिवीर्यवान्।।92।।

प्रदीप्ते ब्रह्मशिरसि नाम लोक: क्षोभमुपागमत्।
लोकसंरक्षणार्थे वै तत् सृष्टं ब्रह्मयोनिना।।93।।

तच्चंक्रेण निहत्यास्त्रं प्राह कृष्णस्त रस्विनम्।
लोके प्रख्याचतयशसं बाणमप्रतिमं रणे।।94।।

कत्थितानि क्वक ते तात बाण किं न विकत्थसे।
अयमस्मि स्थितो युद्धे युद्ध्यस्व पुरुषो भव।।95।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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