हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 76-80

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 76-80

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एवं स्तुत्वा तदा देवं बाणै: खं द्योतयंञ्छितै:।
इतस्तत: सम्प‍तद्भिर्नारदो व्यदचरद् रणे।।76।।

केशवस्यप तु बाणेन वर्तमाने महाभये।
प्रयुध्येतां ध्वजौ तत्र तावन्योन्यतमभिद्रुतौ।।77।।

गरुडस्यत च संग्रामो मयूरस्य च धीमत:।
पक्षतुण्डप्रहारैस्तु चरणास्यनखैस्तथा।।78।।

अन्योन्यं जघ्नतु: क्रुद्धो मयूरगरुडावुभौ।
वैनतेयस्तत: क्रुद्धो मयूरं दीप्तयतेजसम्।।79।।

जग्राह शिरसि क्षिप्रं तुण्डेघनाभिपतंस्तीदा।
उत्क्षिप्य चैव पक्षाभ्यां निजघान महाबल:।।80।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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