हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 141-145

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 141-145

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एवमुक्वा महाद महादेवं कृष्ण‍स्तूर्णं महामना:।
जगाम तत्र यत्रास्ते प्राद्युम्नि: सायकैश्चित।।141।।

गते कृष्णे ततो नन्दी बाणमाह वच: शुभम्।
गच्छ बाण प्रसन्नस्य देवदेवस्य चाग्रत:।।142।।

तच्छ्रुत्वा नन्दिवाक्यं तु बाणोऽगच्छपत शीघ्रग:।
छिन्नरबाहुं ततो बाणं दृष्ट्वा नन्दी प्रतापवान्।।143।।
अपवाह्य रथेनैनं यतो देवस्तदतो ययौ।

ततो नन्दी पुनर्बाणं प्रागुवाचोत्तरं वच:।।144।।
बाण बाण प्रनृत्यस्व श्रेयस्तव भविष्यति।

एष देवा महादेव: प्रसादसुमुखस्तव।।145।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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