हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 136-140

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 136-140

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लोकानां त्वंत गतिर्देव त्वरत्प्रुसूतमिदं जगत्।
अजयेस्वं त्रिभिर्लोकै: ससुरासरपन्नगगै:।।136।।

तस्मा्त् संहर दिव्यं त्वममिदं चक्रं समुद्यतम्।
अनिवार्यमसंहार्यं रणे शत्रुभयंकरम्।।137।।

बाणस्यायस्याभयं दत्तं मया केशिनिषूदन।
तन्मेय न स्याद् वृथा वाक्यमतस्त्वां क्षामयाम्यहम्।।138।।

श्रीकृष्ण उवाच
जीवतां देव बाणोऽयमेतच्चाक्रं निवर्तितम्।
मान्यंस्त्व देवदेवानामसुराणां च सर्वश:।।139।।

नमस्तेऽस्तुत गमिष्या्मि यत्कार्यं तन्महेश्वर।
न तावत् क्रियते तस्मान्मामनुज्ञातुमर्हसि।।140।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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