हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 101-105

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 101-105

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स तच्चकक्रं सहस्रारं नदन् मेघ इवोष्णगे।
जग्राह कृष्णचस्वरितो बाणान्तकरणं रणे।।101।।

तेजो यज्योषितां चैव तेजो वज्राशनेस्तथा।
सुरेशस्य् च यत् तेजस्तच्चक्रे पर्यवस्थितम्।।102।।

त्रेताग्नेश्चैव यत् तेजो यच्चे वै ब्रह्मचारिणाम्।
ऋषीणां च ततो ज्ञानं तच्च‍क्रे समवस्थितम्।।103।।

पतिव्रतानां यत् तेज: प्राणाश्च् मृगपक्षिणाम्।
यच्च् चक्रधरेष्बस्ति तच्चवक्रे संनिवेशितम्।।104।।

नागराक्षसयक्षाणां गन्ध‍र्वाप्स‍रसामपि।
त्रैलोक्यस्य च यत् प्राणं सर्वेचक्रे व्यवस्थितम्।।105।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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