हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 125 श्लोक 61-64

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 125 श्लोक 61-64

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अगस्त्येन पुलस्त्येन धौम्येन तु महात्मना।
य इदं पठते नित्यं स्तोत्रं हरिहरात्मकम्।।61।।

अरोगो बलवांश्चैव जायते नात्र संशय:।
श्रियं च लभते नित्यं न च स्वर्गान्निवर्तते।।62।।

अपुत्रो लभते पुत्रं कन्या विन्दति सत्पातिम्।
गुर्विणी श्रृणुते या तु वरं पुत्रं प्रसूयते।।63।।

राक्षसाश्च पिशाचाश्च विघ्नानि च विनायक:।
भयं तत्र न कुर्वन्ति यत्रायं पठ्यते स्तव:।।64।।
 
इति श्रीमहाभारते खिलभागे हरिवंशे विष्णु‍पर्वणि हरिहरात्मकस्तवो नाम पंचविंशत्याधिकशततमोऽध्याय:।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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