हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 122 श्लोक 71-75

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 122 श्लोक 71-75

Prev.png

 

भज्यवमानेष्वनीकेषु त्रातुकाम: समभ्ययात्।
ज्वयस्त्रिपादस्त्रिशिरा: षड्भुजो नवलोचन:।।71।।

भस्मप्रहरणो रौद्र: कालान्तकयमोपम:।
नदन् मेघसहस्रेण तुल्यो: निर्घातनि:स्वन:।।72।।

नि:श्वसंजृम्भमाणश्च निद्रान्विततनुर्भृशम्।
नेत्राभ्यामाकुलं वक्त्रं मुहु: कुर्वन् भ्रमन् मुहु:।।73।।

संहृष्ट्रोमा ग्लानाक्षो भग्नचित्त इव श्वसन्।
हलायुधमभिक्रुद्ध: साक्षेपमिदमब्रवीत्।।74।।

किमेवं बलमत्तोऽसि न मां पश्यसि संयुगे।
तिष्ठ् तिष्ठ न मे जीवन् मोक्ष्य से रणमूर्धनि।।75।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः