हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 122 श्लोक 51-55

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 122 श्लोक 51-55

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दीप्तंप्रहरणा: सर्वे दैत्यदानवराक्षसा:।।51।।
प्रमाथगणमुख्याश्च अयुध्य‍न् कृष्णैमव्यमयम्।

सर्वतस्तै: प्रदीप्तास्त्रै: सार्चिष्मद्धिरिवाग्निभि:।।52।।

अभ्युसपेत्य तदात्युग्रैर्यक्षराक्षसकिन्नारै:।
पीयते रुधिरं तेषां चतुर्णामपि संयुगे।।53।।

तद् बलं तु समासाद्य बलभद्रो महाबल:।
प्रोवाच वचनं तत्र परस्य बलनाशन:।।54।।

कृष्ण कृष्ण महाबाहो विधत्वैगषां महद् भयम्।
इति संचोदित: कृष्णो बलभद्रेण धीमता।।55।।
अस्त्रमस्त्रविदां श्रेष्ठो यमान्तकसमप्रभ:।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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