हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 126-130

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 126-130

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एकैकस्यो‍परि तदा तेऽन्योन्यं भयपीडिता:।।126।।
वमन्त: शोणितं जग्मु‍र्विषादाद् विमुखा रणे।

न बभूव पुरा देवैर्युध्यतां तादृशं भयम्।।127।।
यादृश युध्यमानानामनिरुद्धेन संयुगे।

केचिद् वमन्तोे रुधिरं ह्यपतन् वसुधातले।।128।।
दानवा गिरिश्रृंगाभ गदाशूलासिपाणय:।

ते बाणमुत्सृज्यारणे जग्मुेर्भयसमाकुला:।।129।।
विशालमाकाशतलं दानवा निर्जितास्तदा।

नि:शेषभग्नां महतीं दृष्ट्वार तां वाहिनीं तदा।।130।।
बाण: क्रोधातप्रजज्वाल समिद्धोऽग्निरिवाध्वंरे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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