हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 118 श्लोक 91-95

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 118 श्लोक 91-95

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प्रयत्नो‍ युज्यते कार्येष्विति शास्त्रनिदर्शनम्।
त्वं च शक्ता् विशालाक्षि द्वारकायां प्रवेशने।।91।।
संस्तुतासि मया भीरु कुरु मे प्रियदर्शनम्।

चित्रलेखोवाच
सर्वथा संस्तुुता तेऽहं वाक्यै्रमृतसोदरै:।।92।।
कारिता च समुद्योगं प्रियै: कान्तैश्च भाषितै:।

एषा गच्छासम्यहं भीरु क्षिप्रं वै द्वारकां पुरीम्।।93।।

भर्तारमानयाम्ययद्य तव वृष्णिकुलोद्भवम्।
अनिरुद्धंस्य महाबाहुं प्रविश्य द्वारकां पुरीम्।।94।।

सा वचस्तंथ्यमशिवं दानवानां भयावहम्।
उक्वास्वा चान्तनर्हिता क्षिप्रं चित्रलेखा मनोजवा।।95।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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