हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 102 श्लोक 26-30

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 102 श्लोक 26-30

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तथा नागपतिं तोये कालीयं च महौजसम्।
निर्जित्यि पुण्ड रीकाक्ष: प्रेषयामास सागरम्।।26।।

संजीवयामास मृतं पुत्रं सान्दीजपनेस्त था।
निर्जित्यस पुरुषव्यादघ्रो यमं वैवस्वोतं हरि:।।27।।

एवमेष महाबाहु: शास्ता तेषां दुरात्म‍नाम्।
देवांश्चा ब्राह्मणंश्चैमव ये द्विषन्ति सदा नृप।।28।।

निहत्य नरकं भौममाहृत्यच मणिकुण्डले।
देवमातुर्ददौ चैव प्रीत्यहर्थं वज्रपाणिन:।।29।।

एवं सदैव दैत्यावनां सुराणां च महायशा:।
भयाभयकर: कृश्ण: सर्वलोककरो विभु:।।30।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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