हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 102 श्लोक 21-25

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 102 श्लोक 21-25

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अवाप्य तपसो वीर्यं बलमोजश्च माधव:।
पूर्वदेहे जहारायं बलेस्त्रिभुवनं हरि:।।21।।

वज्राशनिगदाखड्गैस्त्रा्सयद्भिश्च दानवै:।
यस्या नाधिगतो मृत्युत: पुरं प्राग्यो तिषं प्रति।।22।।

अभिभूतश्च कृष्णेतन सगण: सुमहाबल:।
बले: पुत्रो महावीर्यो बाणो द्रविणवत्त‍र:।।23।।

पीठं तथा महाबाहु: कंसामात्यंद जनार्दन:।
पैठिकं चासिलोमानं निजघान महाबल:।।24।।

जृम्भंमैरावणं चापि विरूपं च महायशा:।
जघान पुरुषव्याैघ्रो दैत्यं मानुषरूपिणम्।।25।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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