हरिवंश पुराण विष्णु पर्व अध्याय 96 श्लोक 64-70

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हरिवंश पुराण: विष्णु पर्व: षण्‍णवतितम अध्याय: श्लोक 64-70 का हिन्दी अनुवाद

विद्वान पुरुषों को सभी उपायों द्वारा अपनी पत्नियों की रक्षा करनी चाहिए। यदि पत्‍नी का पर-पुरुष के द्वारा तिरस्‍कार हो जाय तो वह संसार में मृत्‍यु से भी बढ़कर (कष्‍टदायक होता) है।' गद और साम्ब से ऐसा कहकर महाबली प्रद्युम्न ने अपनी दिव्‍य माया से करोड़ों प्रद्युम्‍नों की सृष्टि कर डाली तथा दैत्‍यों ने जो दुर्निवार्य अन्‍धकार उत्‍पन्‍न किया था, उसे नष्‍ट कर दिया।

शत्रुमर्दन प्रद्युम्‍न को ऐसा पराक्रम करते देख देवराज इन्द्र को बड़ा हर्ष हुआ। समस्‍त प्राणियों ने सभी शत्रुओं के बीच में श्रीकृष्णकुमार प्रद्युम्‍न को देखा और उन्‍हें प्रत्‍येक अंतरात्‍मा में विद्यमान क्षेत्रज्ञ के समान समझा। इस प्रकार युद्ध करते हुए रुक्मिणीकुमार प्रद्युम्‍न की वह सारी रात बीत गयी।

उन्‍होंने अपने अत्‍यन्‍त तेज से असुरों के तीन हिस्‍सों को नष्‍ट कर दिया। श्रीकृष्‍णकुमार प्रद्युम्‍न समरांगण में जब तक दैत्‍यों के साथ जूझते रहे, तब तक जयन्‍त गंगा जी के जल में संध्‍योपासना कर ली। फिर महाबली जयन्‍त आकर जब तक युद्ध करते रहे, तब तक प्रद्युम्‍न ने भी आकाशगंगा के जल में संध्‍योपासना का कार्य पूर्ण कर लिया।

इस प्रकार श्रीमहाभारत के खिलभाग हरिवंश के अन्‍तर्गत विष्‍णु पर्व में प्रद्युम्न और दैत्‍य का युद्धविषयक छियानबेवां अध्‍याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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