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शोणितं शोणितपुरे सर्वत: परमं तत:।।61।। | शोणितं शोणितपुरे सर्वत: परमं तत:।।61।। | ||
− | + | सूर्य भित्वाुरे महोल्कात च पपात धरणीतले। | |
स्व्पक्षे चोदित: सूर्यो भरणीं समपीडयत्।।62।। | स्व्पक्षे चोदित: सूर्यो भरणीं समपीडयत्।।62।। | ||
01:16, 24 मार्च 2018 के समय का अवतरण
हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 116 श्लोक 61-65
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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