चतुःषष्टितम (64) अध्याय: भीष्म पर्व (भीष्मवध पर्व)
महाभारत: भीष्म पर्व: चतुःषष्टितम अध्याय: श्लोक 22-44 का हिन्दी अनुवाद
राजन्! तब आपके चौदह पुत्रों ने भीमसेन पर धावा किया। उनके नाम ये है- सेनापति सुषेण, जलसंघ, सुलोचन, उग्र, भीमरथ, भीम, वीरबाहु, अलोलुप, दुर्मुख, दुष्प्रधर्ष, विवित्सु विकट और सम- ये सब क्रोध से लाल आंखें करके बहुत-से बाणों की वर्षा करते हुए भीमसेन पर टूट पड़े और एक साथ होकर उन्हें अत्यन्त घायल करने लगे। महाबली महाबाहु वीर भीमसेन आपके पुत्रों को देखकर पशुओं के बीच में खडे़ हुए भेड़िये के समान अपने मुंह के दोनों कोनों को चाटते हुए गरुड़ के समान बड़े वेग से उनके सामने गये। वहाँ पहुँचकर पाण्डुकुमार ने क्षुरप्र नामक बाण से सेनापति का सिर काट दिया। तत्पश्चात् प्रसन्नचित्त हो उन महाबाहु ने हँसते-हंसते जलसंघ को तीन बाणों से विदीर्ण करके यमलोक पहुँचा दिया। तदनन्तर सुषेण को मारकर मौत के घर भेज दिया और उग्र के कुण्डलमण्डित चन्द्रोपम मस्तक को एक भल्ल के द्वारा शिरस्त्राणसहित काटकर पृथ्वी पर गिरा दिया। इसके बाद पाण्डुनन्दन वीरवर भीमसेन समरभूमि में घोडे़, ध्वज और सारथि सहित वीरवाहु को सत्तर बाणों से मारकर परलोक पहुँचा दिया। राजन्! तत्पश्चात् भीमसेन हंसते हुए से आपके दो पुत्र भीम और भीमरथ को भी, जो युद्ध में उन्मत होकर लड़ने वाले थे, यमलोक भेज दिया। इसके बाद उस महासमर में भीमसेन ने सम्पूर्ण सेनाओं के देखते-देखते क्षुरप्र से मारकर सुलोचन को भी यमलोक का अतिथि बना दिया। राजन्! आपके जो अन्य शेष पुत्र वहाँ मौजूद थे, वे भीमसेन का पराक्रम देखकर उनके भय से पीड़ित हो उन महात्मा पाण्डुकुमार के बाण की मार खाते हुए सम्पूर्ण दिशा में भाग गये। तदनन्तर शान्तनुनन्दन भीष्म ने महारथियों से कहा- ये भयंकर धनुर्धर भीमसेन युद्ध में क्रुद्व होकर सामने आये हुए श्रेष्ठ, ज्येष्ठ एवं शूर महारथी धृतराष्ट्रपुत्रों को मार गिराते हैं। अतः तुम सब लोग मिलकर उन्हें शीघ्र काबू में करो। उनके ऐसा कहने पर दुर्योधन के सभी सैनिक कुपित हो महाबली भीमसेन की और दौड़े। प्रजानाथ! राजा भगदत्त गजराज पर आरूढ़ हो सहसा उस स्थान आ पहुँचे, जहाँ भीमसेन खडे़ थे। युद्ध में आते ही उन्होंने अपने बाणों से भीमसेन को अदृश्य कर दिया, मानो सूर्य बादलों में ढक गया हो। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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