महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 93 श्लोक 17-22

त्रिनवतितम (93) अध्‍याय: उद्योग पर्व (भगवादयान पर्व)

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महाभारत: उद्योग पर्व: त्रिनवतितम अध्याय: श्लोक 17-22 का हिन्दी अनुवाद
  • मैं दोनों पक्षों का स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ही यहाँ आया हूँ। इसके लिए पूरा प्रयत्न कर लेने पर मैं लोगों में निंदा का पात्र नहीं बनूँगा।(17)
  • यदि मूर्ख दुर्योधन मेरे कष्टनिवारक एवं धर्म तथा अर्थ के अनुकूल वचनों को सुनकर भी उन्हें ग्रहण नहीं करेगा तो उसे दुर्भाग्य के अधीन होना पड़ेगा। (18)
  • महात्मन! यदि मैं पांडवों के स्वार्थ में बाधा न आने देकर कौरवों तथा पांडवों में यथायोग्य संधि करा सकूँगा तो मेरे द्वारा यह महान पुण्यकर्म बन जाएगा और कौरव भी मृत्यु के पाश से मुक्त हो जाएँगे। (19)
  • मैं शांति के लिए विद्वानों द्वारा अनुमोदित धर्म और अर्थ के अनुकूल हिंसा रहित बात कहूँगा। यदि धृतराष्ट्र के पुत्र मेरी बात पर ध्यान देंगे तो उसे अवश्य मानेंगे तथा कौरव भी मुझे वास्तव में शांतिस्थापन के लिए ही आया हुआ जान मेरा आदर करेंगे। (20)
  • जैसे क्रोध में भरे हुए सिंह के सामने दूसरे पशु नहीं ठहर सकते, उसी प्रकार यदि मैं कुपित हो जाऊँ तो ये समस्त राजा लोग एक साथ मिलकर भी मेरा सामना करने में समर्थ न होंगे। (21)
  • वैशम्पायन जी कहते हैं- राजन! यदुकुल को सुख देने वाले वृष्णिवंशविभूषण श्रीकृष्ण विदुर जी से उपर्युक्त बात कहकर स्पर्शमात्र से सुख देने वाली शय्या पर सो गए। (22)
इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योग पर्व के अंतर्गत भगवदयान पर्व में श्रीकृष्ण वाक्य विषयक तिरानबेवाँ अध्याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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