हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 96 श्लोक 66-70

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 96 श्लोक 66-70

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तमश्च नाशयामास दैत्यसृष्टं दुरासदम्।
जहृषे देवराजश्चा तं दृष्ट्वा रिपुमर्दनम्।।66।।

ददृशु: सर्वभूतानि कार्ष्णि सर्वेषु शत्रुषु।
अन्तुरात्मनि वर्तन्तंस क्षेत्रज्ञमिव तं विदु:।।67।।

एवं व्येतीता रजनी रौक्मिणेयस्य युध्यत:।
असुराणां त्रिभागश्चत निहतश्चातितेजसा।।68।।

यावद् वियोधयामास कार्ष्णिर्दैत्यावन रणाजिरे।
संध्योपास्ता जयन्तेयन तावद् विष्णुपदीजले।।69।।

अयोधयज्ज‍यन्तश्चय यावद् दैत्यान् महाबल:।
तावदाकाशगंयां भैम: संध्यामुपास्तावान्।।70।।
 
इति श्रीमहाभारते खिलभागे हरिवंशे विष्णुवपर्वणि प्रद्युम्ननदैत्यायुद्धे षण्णवतितमोऽध्याय:।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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