हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 94 श्लोक 46-51

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 94 श्लोक 46-51

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देवदानवयक्षाणां यं ध्यास्यति स ते पति:।
भवितेति मया चैव वीरोऽयमभिकांक्षित:।।46।।

गृह्णीतं तदिमां विद्यां सद्यो वां प्रियसंगम:।
ततो जगृहतुर्हृष्टेद तां विद्यां भगिनीमुखात्।।47।।

दध्यतुर्गदसाम्बौ च विद्यामभ्यस्य ते शुभे।
तौ प्रद्युम्नेुन सहितौ प्रविष्टौ भैमनन्दनौ।।48।।

प्रच्छदन्नौग मायया वीरौ कार्ष्णिना मायिना नृप।
गान्धछर्वेण विवाहेन तावप्यवरिबलार्दनौ।।49।।

पाणिं जगृहतुर्वीरौ मन्त्रपूर्वं सतां प्रियौ।
चन्द्रजवत्यान गद: साम्बो गुणवत्याश च कैशवि:।।50।।

रेमिरेऽसुरकन्यावभिर्वीरास्तेर यदुपुंगवा:।
मार्गमाणास्व्यावनुज्ञां ते शक्रकेशवयोस्तदा।।51।।

इति श्रीमहाभारते खिलभागे हरिवंशे विष्णुंपर्वणि प्रभावतीपाणिग्रहणे चतुर्नवतितमोऽध्याय:।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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