हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 84 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 84 श्लोक 6-10

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तावापेततुरेवाथ स्वयं चापश्यतां तथा।
वियत्येतव नियुक्तौ तौ प्रद्युम्न: इव भारत।।6।।

तत: कृष्णस्यत वचनादाहतो रणदुन्दुभि:।
जलजा मुरजाश्चैव वाद्यान्ये वापराणि च।।7।।

मकरो रचितो व्यू ह: साम्बेन च गदेन च।
सारणश्चोद्धवश्चैदव भोजो वैतरणस्तथा।।8।।

अनाधृष्टिश्च‍ धर्मात्मा पृथुर्विपृथुरेव च।।
कृतवर्मा च दंष्ट्रश्चा निचक्षुररिमर्दन:।।9।।

सनत्कुमारो धर्मात्मा चारुदेष्णश्च भारत।
अनिरुद्धसहायौ तौ पृष्ठानीकं ररक्षतु:।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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