हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 50 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 50 श्लोक 6-10

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विशुद्धभाव: कृष्णयस्य‍ आवयोर्दृष्टातत्त्व्शव त:।
अत: पात्रतर: कोअन्यशस्त्रिषु लोकेषु विद्यते।।6।।
कृष्णाधत्‍कमलपत्राक्षाद् देवदेवाज्जरनार्दनात्।

तस्याावां किं प्रदास्यापव आतिथ्यदकरणे नृप।।7।।
पात्रमासाद्य वै राजन्‍ यथा धर्मो न लुप्य ते।

एवमन्योसन्य संचिन्य्रा भ्रातरौ क्रथकैशिकौ।।8।।
स्वं राज्यं दातुकामौ तु जग्ममतु: केशवान्तिकम्।

देवमासाद्य तौ वीरौ विदर्भनगराधिपौ।।9।।
ऊचतुस्तौ् महाभागौ प्रणम्यु शिरसा हरिम्।

अद्यावां सफलं जन्म अद्यावां सफलं यश:।
अद्यावां पितरस्तृमप्तां देवे चावां गृहागते।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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