हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 40 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 40 श्लोक 6-10

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द्विरेफगणसंकीर्णं शिलासंकटपादपम्।
मत्तबर्हिणनिर्घोषैर्नादितं मेघनादिभि:।।6।।

गगनालग्न‍शिखरं जलदासक्तपादपम्।
मत्तलद्विपविषाणाग्रै: परिघृष्टोकपलांकितम्।।7।।

कूजद्भिश्चाकण्डाजगणै: समन्तात् प्रतिनादितम्।
दरीप्रपाताम्बुरवैश्छन्नं शार्दूलतल्लजै:।।8।।

नीलाश्मचयसंघातैर्बहुवर्णं यथा घनम्।
धातुविस्त्रावदिग्धांगं सानुप्रस्त्रवभूषितम्।।9।।

कीर्णं सुरगणै: कान्तैवर्मैनाकमिव कामगम्।
उच्छ्रितं सुविशालाग्रं समूलाम्बुपरिस्त्रवम्।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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