हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 39 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 39 श्लोक 6-10

Prev.png

 

श्रूयतामुत्तमरं वाक्यं श्रुत्वा् च परिगृह्यताम्।
नयेन व्युवहर्तव्यंक पार्थिवेन यथाक्रमम्।।6।।

संधिं च विग्रहं चैव यानमासनमेव च।
द्वैधीभावं संश्रयं च षाड्गुण्यंच चिन्तयेत सदा।।7।।

बलिन: संनिकृष्टेु तु न स्थेयं पण्डितेन वै।
अपक्रमेद्धि कालज्ञ: समर्थो युद्धमुद्धहेत्।।8।।

अहं तावत् सहार्येण मुहूर्तेऽस्मिन् प्रकाशिते।
जीवितार्थं गमिष्यामि शक्तिमानप्यऽशक्तेवत्।।9।।

तत: सह्याचलयुतं सहार्येणाहमक्षयम्।
आत्मद्वितीय: श्रीमन्तंष प्रवेक्ष्येत दक्षिणापथम्।।10।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः