हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 16 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 16 श्लोक 6-10

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कृष्‍यन्‍ता प्रथिता सीमा सीमान्‍तं श्रूयते वनम्।
वनान्‍ता गिरय: सर्वे ते चास्‍माकं गतिर्ध्रुवा।।6।।

श्रूयन्‍तेगिरयश्‍चापि वनेऽस्मिन् कामरूपिण:।
प्रविश्‍य तास्‍तास्‍तनवो रमन्‍ते स्‍वेषु सानुषु।।7।।

भूत्‍वा केसरिण: सिंहा व्‍याघ्राश्‍च नखिनां वरा:।
वनानि स्‍वानि रक्षन्ति त्रासयन्‍तो वनच्छिद:।।8।।

यदा चैषां विकुर्वन्ति ते वनालयजीविन:।
घ्नन्ति तानेव दुर्वृत्‍तान पौरुषादेन कर्मणा।।9।।

मन्‍त्रयज्ञपरा विप्रा: सीतायज्ञाश्‍च कर्षुका:।
गिरियज्ञास्‍तथा गोपा इज्‍योऽस्मिाभिर्गिरिर्वने।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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