हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 127 श्लोक 21-25

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 127 श्लोक 21-25

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अनिरुद्धस्य वीर्याख्यो विवाह: क्रियतां विभो।
जम्बूलमालिकां दृष्टुं श्रद्धा हि मम जायते।।21।।

तत: प्रहसिता: सर्वे नारदस्य वच: श्रवात्।
कृष्ण: प्रोवाच भगवन क्रियतामाशु मा चिरम्।।22।।
 
एतस्मिन्नन्तरे तात कुम्भाण्ड: समुपस्थित:।
वैवाहिकांस्तु सम्भारान् गृह्य कृष्णं नमस्य: तु।।23।।

कुम्भाण्ड उवाच
कृष्ण कृष्ण महाबाहो भव त्व‍मभयप्रद:।
शरणागतोऽस्मि देवेश प्रसीदैषोऽञ्जलिस्तव।।24।।

नारदस्य वच: श्रुत्वा‍ सर्वं प्रागेव चाच्युत:।
अभयं यच्छते तस्मै कुम्भातण्डाय महात्मने।।25।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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