हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 56-60

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 56-60

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लाघवात् तस्य कृष्णस्य बलिसूनू रूषान्वित:।।56।।
ततोऽस्त्रंम परमं दिव्यंय तपसा निर्मितं महत्।

यदप्रतिहतं युद्धे सर्वामित्रविनाशनम्।।57।।
ब्रह्मणा विहितं दिव्यं तन्मु‍मोच दिते: सुत:।

तस्मिन् मुक्तेदिश: सर्वास्तम: पिहितमण्डला:।।58।।
प्रादुरासन सहस्रा्णि सुघोराणि च सर्वश:।

तमसा संवृते लोके न प्राज्ञायत किंचन।।59।।

साधं साध्विति बाणं तु पूजयन्ति स्म दानवा:।
हा हा धिगित देवानां श्रूयते वागुदीरिता।।60।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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