हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 125 श्लोक 11-15

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 125 श्लोक 11-15

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ततस्तु जृम्ममाणस्य देवस्याक्लिष्ट कर्मण:।
ज्वाला प्रादुरभूद् वक्त्रा द् दहन्तीव दिशो दश।।11।।
 
ततस्तुं धरणीदेवी पीड्यमाना महात्मभि:।
ब्रह्माणं विश्वधातारं वेपमानाभ्युपागमत्।।12।।

पृथिव्युंवाच
देवदेव महाबाहो पीड्यामि परमौजसा।
कृष्णरुद्रभराक्रान्ता भविष्यैकार्णवा पुन:।।13।।

अविषह्यमिमं भारं चिन्तयस्व पितामह।
लघ्वी्भूता यथा देव धारयेयं चराचरम्।।14।।

ततस्तु काश्यपीं देवीं प्रत्युवाच पितामह:।
मुहूर्तं धारयात्मानमाशु लघ्वीं भविष्यसि।।15।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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