हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 11 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 11 श्लोक 6-10

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सदृशं पुण्‍डरीकस्‍य गन्‍धेन कमलस्‍य च।
रराज चास्‍य तद् बाल्‍ये रुचिरौष्‍ठपुटं मुखम्।।6।।

शिखाभिस्‍तस्‍य मुक्‍ताभी रराज मुखपंकजम्।
वृतं षट्पदपंक्‍तीभिर्यथा स्‍यात् पद्ममण्‍डलम्।।7।।

तस्‍यार्जुनकदम्‍बाढ्या नीपकन्‍दलमालिनी।
रराज माला शिरसि नक्षत्राणां यथा दिवि।।8।।

स तया मालया वीर: शुशुभे कण्‍ठसक्तया।
मेघमालाम्‍बुदश्‍यामो नभस्‍य इव मूर्तिमान्।।9।।

एकेनामलपत्रेण कण्‍ठसूत्रावलम्बिना।
रराज बर्हिपत्रेण मन्‍दमारुतकम्पिना।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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