हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 51-55

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 51-55

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कामसंतापसंतप्त: प्रियासंगमकामत:।
एषोऽजलिर्मया बद्ध: सत्यं स्वप्नं कुरुष्व मे।।51।।

तस्यै तद् वचनं श्रुत्वा चित्रलेखा वराप्सरा:।
सफलोऽद्य मम क्ले्श: सख्या मे यत् प्रयाचितम्।।52।।

वैशम्पायन उवाच
ईप्सितं तस्य विज्ञाय अनिरुद्धस्य भामिनी।
चित्रलेखा ततस्तु‍ष्टा तथेति च तमब्रवीत्।।53।।

हर्म्ये स्त्रीगणमध्यस्थं कृत्वा चान्तर्हितं तदा।
उत्पपात गृहीत्वा् सा प्राद्युम्निं युद्धदुर्मदम्।।54।।

सा तमध्वानमागम्य् सिद्धचारणसेवितम्।
सहसा शोणितपुरं प्रविवेश मनोजवा।।55।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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