हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 36-40

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 36-40

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विविक्ते‍ सा च वै देशे तं वाक्यधमिदमब्रवीत्।
अपि ते कुशलं वीर सर्वत्र यदुनन्दतन।।36।।

अहस्ता वत् प्रदोषो वा कच्चिद् गच्छदति ते सुखम्।
श्रृणुष्व त्वं महाबाहो विज्ञप्तिं मे रतीसुत।।37।।

उषाया मम सख्यावस्तु वाक्यं वक्ष्यामि तत्त्वत:।
स्वयप्नेतु या त्वाया दृष्ट्वा स्त्रीभावं चापि भाविता।।38।।

बिभर्ति हृदये या त्वामुषया प्रेषिता त्वहम्।
रुदन्ती जृम्भाती चैव नि:श्ववसन्ती मुहुर्मुहु:।।39।।

त्वनद्दर्शनपरा सौम्य कामिनी परितप्य‍ते।
यदि त्वं‍ यास्यसे वीर धारयिष्यति जीवितम्।।40।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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