हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 118 श्लोक 21-25

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 118 श्लोक 21-25

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एवं विप्रर्षयो देवि धर्मज्ञा: कथयन्ति वै।
मनसा चैव वाचा च कर्मणा च विशेषत:।
दुष्टाै या त्रिभिरेतैस्तुञ पापा सा प्रोच्यचते बुधै:।।21।।

न च ते दृश्यटते भीरु मन: प्रचलितं सदा।
कथं त्वं दोषसंदुष्टान नियता ब्रह्मचारिणी।।22।।

यदि सुप्ता् सती साध्वी शुद्धभावा मनस्विनी।
इमामवस्थां प्राप्तास त्वं नैव धर्मो विलुप्यते।।23।।

यस्यास दुष्टं मन: पूर्वं कर्मणा चोपपादितम्।
तामाहुरसती नाम सती त्वरमसि भामिनि।।24।।

कुलजा रूपसम्पमन्ना् नियता ब्रह्मचारिणी।
इमामवस्थांम नीतासि कालो हि दुरतिक्रम:।।25।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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