हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 117 श्लोक 56-60

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 117 श्लोक 56-60

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अतिदाहो महान् स्वेद: पिपासा न बुभुक्षते।
प्रलाप एव किं तस्यां शास्त्रतो ब्रूत निश्चितम्।।56।।

वैद्या ऊचु:
क्रीडाविहारे मिलिता: स्त्रीजना देवसंनिधौ।
रूपेणाप्रतिमा देवी राजपुत्री च भाविनी।।57।।

दृष्टिपात: कृतस्ताभिस्तेन पुत्र्यां व्यथाभवत्।
रक्षामन्त्त्रैस्तथा पीतै: सर्षपैस्तां कुमारिकाम्।।58।।

पानीयैरभिषेकेण परा शान्तिर्भविष्यति।
इत्युक्तवा भिषज: सर्वे निवृत्तां नृपवेश्मत:।।59।।

सूचयन्त: पुन: सर्वे कामाभिप्रायजां व्यथाम्।
मातृपृष्टा वरारोहा चिरकालमुवाच सा।।60।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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