हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 116 श्लोक 41-45

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 116 श्लोक 41-45

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ईप्सितं किं त्वया प्राप्तं‍ तन्मे ब्रूहि महासुर।।41।। शितिकण्ठकप्रसादेन स्कन्द‍गोपायनेन च ।

कच्चित्त्रैलोक्यराज्यं ते व्याचदिष्टं शूलपाणिना।।42।। कच्चिदिन्द्रस्तव भयात् पातालमुपयास्याति।

कच्चिद् विष्णुपरित्रासं विमोक्ष्यन्ति दिते: सुता:।।43।। पातालवासमुत्सृज्य कच्चित् तव बलाश्रयात्। विबुधावासनिरता भविष्यन्ति महासुरा:।।44।।

बलिर्विष्णुपराक्रान्तो बद्धस्तव पिता नृप। सलिलौघाद् विनिष्क्रम्य् कच्चिद् राज्यमवाप्स्याति।।45।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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