हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 112 श्लोक 21-25

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 112 श्लोक 21-25

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न प्रद्युम्नो नानिरुद्धो न रामो न च केशव:।
यत्र शक्ता: परित्रातुं कोऽन्यस्तदवनेश्वर:।।21।।

धिगर्जुनं वृथावादं धिगात्मश्लाघिनो धनु:।
दैवोपसृष्‍टो यो मौर्ख्यादागच्छति च दुर्मति:।।22।।

एवं शपति विप्रर्षौ विद्यामास्थाय वैष्णवीम्।
ययौ यमिनीं वीरो यत्रास्ते भगवान् यम:।।23।।

विप्रापत्यमचक्षाणस्तत ऐन्द्रीमगात् पुरीम्।
आग्नेयीं नैर्ऋती सौम्या‍मुदीचींवारुणीं तथा।।24।।

रसातलं नाकपृष्ठं धिष्ण्यान्यन्यान्युादायुध:।
ततोऽलब्ध्वा द्विजसुतमनिस्तीर्णप्रतिश्रव:।।25।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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