हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 110 श्लोक 66-70

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 110 श्लोक 66-70

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आश्चार्यं परमं वेदा धन्या वेदाश्च नारद।
ये लोकान् धारयन्ति स्मा वेदास्तत्त्वार्थदर्शिन:।।66।।

ऋक्सामयजुषां सत्य‍मथर्वणि च यन्मतम्।
तन्मयं विद्धि मां विप्र धृतोऽहं तैर्मया च ते।।67।।

पारमेष्ठ्येन वाक्येन नोदितोऽहं स्वयम्भुवा।
वेदोपस्थानिकां चक्रे मतिं संस्थानविस्त‍रात्।।68।।

सोऽहं स्वयम्भूवचनाद् वेदान् वै समुपस्थित:।
अवोचं तांश्च चतुरो मन्त्रप्रवचनान्वितान्।।69।।

धन्या भवन्त‍: पुण्यारश्च नित्यमाश्चर्यभूषिता:।
आधाराश्चैव विप्राणामेवमाह प्रजापति:।।70।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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