हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 106 श्लोक 36-40

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 106 श्लोक 36-40

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हतायां सर्पमायायां शम्बरोऽचिन्तयन:।
अस्ति मे कालदण्डालभोमुद्गरो हेमभूषित:।।36।।

तमप्रतिहतं युद्धे देवदानवमानवै:।
पुरा यो मम पार्वत्या दत्त: परमतुष्टया।।37।।

गृहाण शम्ब रेमं त्वं मुद्गरं हेमभूषितम्।
मया सृष्टं स्वदेहे वै तप: परमदुश्चुरम्।।38।।

मायान्तकरणं नाम सर्वासुरविनाशनम्।
अनेन दानवौ रौद्रौ बलिनौ कामरूपिणौ।।39।।

शुम्भदश्चैदव निशुम्भश्च सगणौ सूदितौ मया।
प्राणसंशयमापन्ने त्वया मोक्ष्य: स शत्रवे।।40।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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