हरिवंश पुराण: विष्णु पर्व: द्विषष्टितम अध्याय: श्लोक 16-20 का हिन्दी अनुवादराजन! यह भूतल पर बलराम जी का अत्यन्त अद्भुत कर्म कहा गया है। पहले भाण्डीरवट के निकट उन्होंने जो कुछ किया था, उसका वर्णन तो कर ही दिया गया है। उस समय हलधर ने प्रलम्ब को एक ही मुक्के से मारकर काल के गाल में डाल दिया था। और महापराक्रमी धेनुकासुर को ताड़ की चोटी पर फेंक दिया था। वह गर्दभरुपधारी दैत्य वहीं से गतायु होकर पृथ्वी पर गिरा था। खारे पानी के समुद्र में मिलने वाली यम की बहिन महानदी यमुना को, जो बहते हुए जल के वेग और तरंगों से अलंकृत थी, उन्होंने हल के द्वारा नगर की ओर खींच लिया था। जो अनन्त, अप्रमेय, धरणीधर शेष के अवतार हैं, उन बलदेव जी का माहात्य मैंने तुम्हें बता दिया। इस प्रकार पुरुषोत्तम हलधर के दूसरे-दूसरे भी उत्तम चरित्र हैं, उनके जिस कर्म की यहाँ चर्चा नहीं की गयी है, उसे तुम विस्तृत पुराणों से जान लो। इस प्रकार श्रीमहाभारत के खिलभाग हरिवंश के अन्तर्गत विष्णु पर्व में बलदेव का माहात्यविषयक बासठवाँ अध्याय पूरा हुआ।
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज