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तस्योत्तमे महाश्रृंगे भास्वन्तौ देवरूपिणौ।
 
तस्योत्तमे महाश्रृंगे भास्वन्तौ देवरूपिणौ।
उदयास्तमये सूर्यं सोमं च ज्योतिषां पतिम्।।67।।
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उदयास्तमये सूर्य सोमं च ज्योतिषां पतिम्।।67।।
  
 
ऊर्मिमन्तं समुद्रं च अपारद्वीपभूषणम्।
 
ऊर्मिमन्तं समुद्रं च अपारद्वीपभूषणम्।

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हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 39 श्लोक 66-70

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सोपानभूतं स्वर्गस्य गगनाद्रिमिवोच्छ्रितम्।
तं विमानावतरणं गिरिं मेरुमिवापरम्।।66।।

तस्योत्तमे महाश्रृंगे भास्वन्तौ देवरूपिणौ।
उदयास्तमये सूर्य सोमं च ज्योतिषां पतिम्।।67।।

ऊर्मिमन्तं समुद्रं च अपारद्वीपभूषणम्।
प्रेक्षमाणौ सुखं तत्र नगाग्रे विचरिष्यथ:।।68।।

श्रृंगस्थौ तस्य शैलस्य‍ गोमन्तस्य वनेचरौ।
दुर्गयुद्धेन धावन्तौ जरासंधं विजेष्यथ:।।69।।

तत्र शैलगतौ दृष्ट्वा भवन्तौ युद्धदुर्मदौ।
आसक्तश: शैलयुद्धे वै जरासंधो भविष्यति।।70।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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