पंचाशत्तम (50) अध्याय: आश्वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व)
महाभारत: आश्वमेधिक पर्व: पंचाशत्तम अध्याय: श्लोक 52-56 का हिन्दी अनुवाद
जो मनुष्य सम्पूर्ण भूतों की श्रेष्ठता और न्यूनता का ज्ञाता, समस्त कर्मों की विधि का जानकार और सब प्राणियों को आत्मभाव से देखने वाला है, वह अविनाशी परमात्मा को प्राप्त करता है।
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधिकपर्व के अन्तर्गत अनुगीतापर्व में गुरु-शिष्यसंवादविषयक पचासवाँ अध्याय पूरा हुआ।
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|