आत्मा | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- आत्मा (बहुविकल्पी) |
आत्मा अर्थात जीवों में विद्यमान चैतन्य, पुरुष जीव, ब्रह्म, मन, बुद्धि, अहंकार, स्वभाव, प्रकृति, एक अविनाशी अतींद्रिय और अभौतिक शक्ति जो काया या शरीर में रहने पर उसे जीवित रखती और उससे सब काम करवाती है और उसके शरीर में न रहने पर शरीर अचेष्ट निक्रिष्य तथा मृत हो जाता है।
- 'आत्मन्' शब्द की व्युत्पत्ति से आत्मा की कल्पना पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। यास्क ने इसकी व्युत्पत्ति करते हुए कहा है- "आत्मा ‘अत्’ धातु से व्युत्पन्न होता है, जिसका अर्थ है- 'सतत चलना' अथवा यह 'आप्' धातु से निकला है, जिसका अर्थ 'व्याप्त होना' है। आचार्य शंकर आत्मा शब्द की व्याख्या करते हुए लिंग पुराण[1] से निम्नाकिंत श्लोक उदधृत करते हैं-
यच्चाप्नोति यदादत्ते यच्चाति विषयानिह। यच्चास्य सन्ततो भावस्तस्मादात्मेति कीर्त्यते।।
अर्थात "जो व्याप्त करता है, ग्रहण करता है, सम्पूर्ण विषयों का भोग करता है और जिसकी सदैव सत्ता बनी रहती है, उसको आत्मा कहा जाता है।"
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ लिंग पुराण 1.70.96
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज