पंचम (5) अध्याय: सभा पर्व (लोकपालसभाख्यान पर्व)
महाभारत: सभा पर्व: पंचम अध्याय: श्लोक 1-12 का हिन्दी अनुवाद
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ परस्पर विरुद्ध प्रतीत होने वाले वेद के वचनों की एकवाक्यता।
- ↑ एक में मिले हुए वचनों को प्रयोग के अनुसार अलग-अलग करना।
- ↑ यज्ञ के अनेक कर्मों के एक साथ उपस्थित होने पर अधिकार के अनुसार यजमान के साथ कम्र का जो सम्बन्ध होता है, उसका नाम समवाय है।
- ↑ दूसरे को किसी वस्तु का बोध कराने के लिये प्रवृत्त हुआ पुरुष जिस अनुमान वाक्य का प्रयोग करता है, उस में पाँच अवयव होते हैं - प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहरण, उपनय और निगमन। जैसे किसी ने कहा-‘इस पर्वत पर आग है, यह वाक्य प्रतिज्ञा है। ‘क्योंकि वहाँ धूम है’ यह हेतु है। जैसे रसोई घर में धूआँ दीखने पर वहाँ आग देखी जाती है’ दृष्टान्त ही उदाहरण है। ‘चूँकि इस पर्वत पर धूआँ दिखायी देता है’ हेतु की इस उपलब्धि का नाम उपनय है। ‘इसलिये वहाँ आग है’ यह निश्चय ही निगमन है। इस वाक्य में अनुकूल तर्क का होना गुण है और प्रतिकूल तर्क का होना दोष है, जैसे ‘यदि वहाँ आग न होती, तो धूआँ भी नहीं उठता’ यह अनुकूल तर्क है। जैसे कोई तालाब से भाप उठती देखकर यह कहे कि इस तालाब में आग है, तो उस का वह अनुमान आश्रया सिद्ध रूप हेत्वाभास से युक्त होगा।
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