"महाभारत वन पर्व अध्याय 256 श्लोक 24-27" के अवतरणों में अंतर

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<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">महाभारत: वन पर्व: षट्पच्‍चाशदधिकद्विशततम अध्‍याय: श्लोक 24-27 का हिन्दी अनुवाद</div>
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">महाभारत: वन पर्व: षट्पच्‍चाशदधिकद्विशततम अध्‍याय: श्लोक 24-27 का हिन्दी अनुवाद</div>
<center>दुर्योधनके यज्ञका आरम्‍भ एवं समाप्ति</center>
 
 
  
वे हर्षके साथ सभी अतिथियों को उत्‍तम भक्ष्‍य पेय अन्‍न –पान, सुगन्धित पुष्‍प आहार तथा नाना प्रकारके वस्‍त्र देने लगे । वीर राजा दुर्योधनने सभी को शस्‍त्रानुसार यथायोग्‍य निवास गृह बनवा कर उनमें ठहराया था उसमें सब प्रकारसे आश्‍वासन तथा भाँति-भाँतिके रत्‍न देकर शस्‍त्रों राजाओं तथा ब्राह्मणोंको विदा किया । इस प्रकार राजाओंको विदा देकर भाइयोंसे घिरे हुए दुर्योधनने कर्ण और शकुनिके साथ हस्तिनापुरमें प्रवेश किया ।
 
  
इसप्रकार श्रीमहाभारत वनपर्वके अन्‍तर्गत घोषयात्रापर्वमें दुर्योधनका यज्ञविषयक दो सौ छपनवां अध्‍याय पूरा हुआ ।
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वे बड़े हर्ष के साथ सभी अतिथियों को उत्‍तम भक्ष्‍य, पेय अन्‍न–पान, सुगन्धित पुष्‍पहार तथा नाना प्रकार के वस्‍त्र देने लगे।
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वीर राजा [[दुर्योधन]] ने सभी को शस्‍त्रानुसार यथायोग्‍य निवास गृह बनवा कर उनमें ठहराया था। उसने सब प्रकार से आश्‍वासन तथा भाँति-भाँति के रत्‍न देकर सहस्त्रों राजाओं तथा ब्राह्मणों को विदा किया।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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12:35, 14 मार्च 2018 के समय का अवतरण

षट्पच्‍चाशदधिकद्विशततम (256) अध्‍याय: वन पर्व (घोषयात्रा पर्व)

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महाभारत: वन पर्व: षट्पच्‍चाशदधिकद्विशततम अध्‍याय: श्लोक 24-27 का हिन्दी अनुवाद


वे बड़े हर्ष के साथ सभी अतिथियों को उत्‍तम भक्ष्‍य, पेय अन्‍न–पान, सुगन्धित पुष्‍पहार तथा नाना प्रकार के वस्‍त्र देने लगे।

वीर राजा दुर्योधन ने सभी को शस्‍त्रानुसार यथायोग्‍य निवास गृह बनवा कर उनमें ठहराया था। उसने सब प्रकार से आश्‍वासन तथा भाँति-भाँति के रत्‍न देकर सहस्त्रों राजाओं तथा ब्राह्मणों को विदा किया।

इस प्रकार राजाओं को विदा देकर भाइयों से घिरे हुए दुर्योधन ने कर्ण और शकुनि के साथ हस्तिनापुर में प्रवेश किया।


इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अन्‍तर्गत घोषयात्रापर्व में दुर्योधन का यज्ञविषयक दो सौ छप्पनवाँ अध्‍याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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