महाभारत विराट पर्व अध्याय 50 श्लोक 22-28

पंचाशत्तम (50) अध्याय: विराट पर्व (गोहरण पर्व)

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महाभारत: विराट पर्व: पंचाशत्तम अध्याय: श्लोक 22-28 का हिन्दी अनुवाद


दुर्योधन! जैसे तुम लोगों ने जूए का खेल किया, जिस तरह इन्द्रप्रस्थ के राज्य का अपहरण किया और जिस प्रकार भरी सभा में द्रौपदी को घसीट कर ले गये, उसी प्रकसार पाण्डु नन्दन अर्जुन से युद्ध भी करो। ( जब उन अन्यायों के समय तुम्हें हमारे सहयोग की आवश्यकता नहीं जान पड़ी, तब इस युद्ध में भी सहयोग ही आशा न रक्खो )। ये तुम्हारे मामा शकुनि बड़े बुद्धिमान् और क्षत्रिय धर्म के महापण्डित हैं। छल पूर्वक जूआ खेलने वाले वे गान्धार देश के नरेश शकुनि ही यहाँ युद्ध करें। गाण्डीव धनुष सतयुग, द्वापर और त्रेता नामक पासे नहीं फेंकता है, वह तो लगातार तीखे और प्रज्वलित बाणों की वर्षा करता है।

गाण्डीव से छूटे हुए गीध के पंखों वाले तीखे बाण पर्वतों को भी विदीर्ण करने वाले हैं। वे शत्रु की छाती में घुसे बिना नहीं रहते। यमराज, वायु, मृत्यु और बड़वानल - ये चाहे जड़ मूल से नष्ट न करें, कुद बाकी छोड़ दें, परंतु कुपित होने पर कुछ भी नहीं छोड़ेंगे। राजन्! जैसे राजसभा में तुमने मामा के साथ जूए का खेल किया है, उसी प्रकार संग्राम भूमि में भी तुम उन्हीं मामा शकुनि से सुरक्षित होकर युद्ध करो। ( किसी दूसरे से सहयोग की आशा न रक्खो )। अथवा अन्य योद्धाओं की इच्छा हो, तो वे युद्ध कर सकते हैं, किंतु मैं अर्जुन के साथ नहीं लड़ूँगा। हमें तो मत्स्य देश से युद्ध करना है। यदि वे इस गोष्ठ पर आ जायँ, तो मैं उनके साथ युद्ध कर सकता हूँ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत विराट पर्व के अन्तर्गत गौहरण पर्व में उत्तर गोग्रह के समय अश्वत्थामा वाक्य विषयक पचासवाँ अध्याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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