सप्तदशाधिकद्विशततम (217) अध्याय: वन पर्व (मार्कण्डेयसमस्या पर्व)
महाभारत: वन पर्व: सप्तदशाधिकद्विशततम अध्याय: श्लोक 18-21 का हिन्दी अनुवाद
भरतनन्दन! अंगिरा को अग्नि देव का प्रथम पुत्र जानकर सब देवता उनके पास आये और इसका कारण पूछने लगे। देवताओं के पूछने पर अंगिरा ने उन्हें कारण बताया और देवताओं ने अंगिरा के उस कथन पर विश्वास करके उसे यथार्थ माना। अब मैं महान् कान्तिमान् विविध अग्नियों का, जो ब्राह्मण ग्रन्थोक्त विधि-वाक्यों में अनेक कर्मों द्वारा विभिन्न प्रयोजनों की सिद्धि के लिये विख्यात हैं, वर्णन करूँगा।
इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अन्तगर्त मार्कण्डेयसमस्यापर्व में आंगिरस के प्रसंग में दो सौ सत्रहवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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