एकोनविंशतितम (19) अध्याय: भीष्म पर्व (श्रीमद्भगवतद्गीता पर्व)
महाभारत: भीष्म पर्व: एकोनविंशतितम अध्याय: श्लोक 40-46 का हिन्दी अनुवाद
इस प्रकार उन महान् ध्वजों के शब्द से ताड़ के जंगलों की भाँति उस रणभूमि में सब ओर झन-झनकी आवाज हो रही थी। इस प्रकार युद्ध से आनन्दित होने वाले पुरुषसिंह पाण्डव आपके पुत्र की वाहिनी के सामने व्यूह बनाकर खड़े थे और हमारे योद्धाओं की रक्त और मज्जा भी सुखाये देते थे। गदाधारी भीमसेन को आगे खड़ा देख हमारी सारी सेना भयभीत हो रही थी। इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्मपर्व के अंतर्गत श्रीमद्भगवद्गीतापर्व पाण्डव सेना का व्यूहनिर्माणविषयक उन्नीसवां अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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