अष्टादशाधिकशततम (118) अध्याय: भीष्म पर्व (भीष्मवध पर्व)
महाभारत: भीष्म पर्व: अष्टादशाधिकशततम अध्याय: श्लोक 45-54 का हिन्दी अनुवाद
परंतु उदारचेता भीष्म उन श्रेष्ठ राजाओं के छोड़ते हुए समस्त बाण समूहों का नाश करके पाण्डवों की विशाल सेना में घुस गये। वहाँ पितामह भीष्म खेल-सा करते हुए अपने बाणों द्वारा पाण्डव सैनिकों के अस्त्र-शस्त्रों का विनाश करने लगे। परंतु शिखण्डी के स्त्रीत्व का स्मरण करके वे बारम्बार मुसकराकर रह जाते थे, उन पर बाण नहीं चलाते थे। महारथी भीष्म ने द्रुपद की सेना के सात रथियों को मार डाला। तब एकमात्र भीष्म पर धावा करने वाले मत्स्य, पांचाल और चेदिदेश के योद्धाओं का महान कोलाहल क्षणभर में वहाँ गूंज उठा। परंतप! जैसे बादल सूर्य को ढक लेते हैं, उसी प्रकार उन वीरों ने पैदल, घुड़सवार तथा रथियों के समुदाय से एवं बहुसंख्यक बाणों द्वारा भीष्म को आच्छादित कर दिया। उस समय गंगानन्दन भीष्म अकेले युद्ध के मैदान में शत्रुओं को अत्यन्त संतप्त कर रहे थे। तदनन्तर भीष्म तथा उन योद्धाओं में देवासुर-संग्राम के समान भयंकर युद्ध होने लगा। इसी बीच में किरीटधारी अर्जुन शिखण्डी को आगे करके भीष्म के समीप जा पहुँचे।
इस प्रकार श्रीमहाभारत के अन्तर्गत भीष्मपर्व में भीष्मपराक्रम विषयक एक सौ अठारहवां अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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